Ker Sangri got GI tag : केर सांगरी को मिला GI टैग

रेगिस्तान की थाली से दुनिया की पहचान तक: sangri ko mily gi tag

राजस्थान की रेत में नमी भले ही कम हो, पर इसकी मिट्टी में कहानियाँ रची-बसी हैं। इन्हीं कहानियों में एक नाम है – केर सांगरी

कभी जिसे “अकाल का खाना” कहा जाता था, आज वही व्यंजन भारत की खाद्य सांस्कृतिक धरोहर बन चुका है। और अब इस पारंपरिक डिश को मिला है Geographical Indication (GI) टैग – एक ऐसी पहचान जो इसे न केवल सम्मान देती है, बल्कि इसकी असलियत और गुणवत्ता की भी गारंटी बनती है।

क्या है केर सांगरी?

केर, एक जंगली बेरी, और सांगरी, खेजड़ी के पेड़ की पतली फली – मिलकर बनाते हैं राजस्थान का यह विशिष्ट व्यंजन।

खेजड़ी कोई साधारण पेड़ नहीं, यह राजस्थान का राज्य वृक्ष है और थार के रेगिस्तान में इसे “कल्पवृक्ष” कहा जाता है, क्योंकि यह जीवनदायक माना जाता है।

एक व्यंजन जो संघर्ष से निकला

राजस्थान में जब कभी भयंकर सूखा पड़ता था, और हरी सब्ज़ियां मिलना मुश्किल हो जाता, तब यही केर और सांगरी लोगों के भोजन का सहारा बनती थीं। इन्हें छांव में सुखाया जाता, फिर दही, नमक, लाल मिर्च और देशी मसालों में पकाया जाता और जो स्वाद बनता, वो हर राजस्थानी की स्मृतियों में रच-बस गया।

स्वाद ही नहीं, सेहत भी

केर और सांगरी सिर्फ स्वाद के लिए नहीं जानी जातीं – ये पोषण से भरपूर होती हैं:
उच्च फाइबर सामग्री

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